हमारा मूल्य


श्रीअरविंद आश्रम की श्री माँ

हमारा मूल्य अपने-आपका अतिक्रमण करने के प्रयास के परिमाण में है, और अपने-आपका अतिक्रमण करने का अर्थ है , भगवान को पाना ।

आखिर यह बहुत सरल है, हमें केवल वही बनना है जो हम अपनी सत्ता की गहराइयों में हैं ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)


0 Comments