साहस की ढाल …


श्रीअरविंद अपने कक्ष में

केवल थे सुरक्षित जिन्होने सँजोये रखा भगवान को अपने हृदय में अपने:

साहस की ढाल और श्रद्धा का लेकर कृपाण, उन्हें चलना होगा ,

भुजाएँ प्रहार के लिए तत्पर, आँखें  करें शत्रु की टोह,

करते हुये निक्षेपित बरछा सामने ध्यान से ,

प्रकाश की सेना के नायक और सैनिक।

संदर्भ : ‘सावित्री’ 


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