अगर तुम उदास हो, अगर तुम अपने-आपको दुखी अनुभव करते हो, अगर तुम जो कुछ हाथ में लेते हो उसी में असफलता हाथ लगती है, चाहे तुम कितना भी प्रयास कर लो, फिर भी जो होता है वह हमेशा तुम्हारी आशाओं के विपरीत होता है – अगर स्थिति यहांतक पहुँच गयी है की तुम्हें गुस्सा आ जाता है, जीवन घृणित हो उठता है , और तुम दुखी रहते हो तो तुरंत ‘सावित्री’ उठा लो और क्षण-भर की एकाग्रता के बाद कोई सा पुष्ठ खोलो और पढ़ना शुरू कर दो। तुम देखोगे कि तुम्हारा सारा दुःख धुएँ कि तरह गायब हो जाता है और तुम्हारे अंदर दुःख की बुरी-से-बुरी उदासी और अंधेरे पर विजय पाने की शक्ति आ जाती है । तुम्हें उस चीज़ की प्रतीति ही न होगी जो तुम्हें यातना दे रही थी । उसकी जगह तुम्हें एक विचित्र सुख का अनुभव होगा । चेतना का एक ऐसा पलटा आयेगा, हर चीज़ पर विजय पाने वाली शक्ति और ऊर्जा आयेगी, मानों अब कुछ भी असंभव नहीं है । और तुम उस अक्षय आनंद का अनुभव करोगे जो सबको पवित्र करता है । कुछ ही पंक्तियाँ पढ़ो, इतना ही तुम्हारी अंतरतम सत्ता के साथ संपर्क स्थापित करने के लिये काफी है । ऐसी है “सावित्री” की असाधारण शक्ति ।
या फिर कुछ पंक्तियाँ पढ़ने के बाद अगर तुम गहराई में एकाग्र होओ तब भी तुम्हें उस चीज़ का समाधान मिल जाएगा जो तुम्हें पीड़ा पहुंचा रही थी। तुम बिना सोचे-विचारे यूं ही कही से भी “सावित्री” को खोलो और तुम्हें अपनी समस्या का उत्तर मिल जायेगा । यह श्रद्धा और सरलता से करो, परिणाम निश्चित है ।
आशीर्वाद ।
संदर्भ : “मधुर माँ” (माताजी के साथ मोना की बातचीत)
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