सांसारिक जीवन संघर्ष का जीवन है – इस पर उचित तरीके से चलने के लिए तुम्हें अपने जीवन तथा अपनी क्रियाएँ भगवान को समर्पित करनी चाहियें और अपने अंदर भगवान की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिये। मन जब अचंचल हो जाता है, तब तुम यह अनुभव कर सकते हो कि दिव्य माँ तुम्हारे जीवन को सहारा दिये हुये हैं , और तब तुम सब कुछ उनके हाथों में सौंप दो।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…