सांसारिक जीवन का त्याग

सत्ता के पूर्ण आध्यात्मिक जीवन के लिये तैयार हों जाने से पहले सांसारिक जीवन का त्याग करना लाभदायी नही होता। ऐसा करने का अर्थ है अपनी सत्ता के विभिन्न अंगों में संघर्ष खड़ा कर देना और उसे इतनी तीव्रता तक उभार देना कि उसे सहन करने- के लिये प्रकृति तैयार न हों। तुम्हारे अन्दर के प्राणिक तत्वों को अंशत: अनुशासन तथा जीवन के  अनुभव का सामना करना होगा, जब कि आध्यात्मिक लक्ष्य को अपनी दृष्टि के सामने रखना होगा तथा कर्मयोग की भावना के साथ धीरे-धीरे उसके द्वारा जीवन को परिचालित करने का प्रयास करना होगा ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग-२)

 

शेयर कीजिये

नए आलेख

अपने चरित्र को बदलने का प्रयास करना

सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…

% दिन पहले

भारत की ज़रूरत

भारत को, विशेष रूप से अभी इस क्षण, जिसकी ज़रूरत है वह है आक्रामक सदगुण,…

% दिन पहले

प्रेम और स्नेह की प्यास

प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…

% दिन पहले

एक ही शक्ति

माताजी और मैं दो रूपों में एक ही 'शक्ति' का प्रतिनिधित्व करते हैं - अतः…

% दिन पहले

पत्थर की शक्ति

पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…

% दिन पहले

विश्वास रखो

माताजी,  मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब…

% दिन पहले