मेरे बच्चे सहन करो! और पूरी श्रद्धा रखते हुए परम प्रभु के हृदय में बस एक नवजात शिशु की तरह दुबके रहो। अंतत:, एक अनंत परमानन्द में तुम खिल उठोगे …
संदर्भ : माँ तुमने ऐसा कहा था
भगवान को अभिव्यक्त करने वाली किसी भी चीज को मान्यता देने में लोग इतने अनिच्छुक…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…