जब हमारे अंदर का ज्ञान नया होता है तब वह अजेय होता है; जब वह पुराना हो जाता है तब वह अपना गुण खो देता है। ऐसा इस कारण होता है कि भगवान सर्वदा आगे की ओर बढ़ते रहते हैं ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
जब हमारे अंदर का ज्ञान नया होता है तब वह अजेय होता है; जब वह पुराना हो जाता है तब वह अपना गुण खो देता है। ऐसा इस कारण होता है कि भगवान सर्वदा आगे की ओर बढ़ते रहते हैं ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
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