‘सत्य’ मिथ्यात्व से बढ़ कर बलवान है । एक अमर ‘शक्ति’ जगत पर शासन करती है । उसके निश्चय हमेशा सफल होते हैं। उसके साथ हो जाओ तो तुम अंतिम विजय के बारे में निश्चित रहोगे।
‘सत्य’ को अपनी शक्ति मानो, ‘सत्य’ को अपना आश्रय मानो ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
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