सत्य को जीना


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

सत्य लकीर की तरह नहीं सर्वांगीड है, वह उतरोत्तर नहीं बल्कि समकालिक है। अतः उसे शब्दो में व्यक्त नहीं किया जा सकता उसे जीना होता है ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)


0 Comments