श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

सत्य और मिथ्यात्व में भेद कैसे करें

जो लोग अन्धकार और मिथ्यात्व की शक्तियों पर ‘सत्य’ की ज्योति के विजयी होने में सहायता करना चाहते हैं वे अपनी गतिविधियों और क्रियाओं को शुरू करने वाले आवेगों का ध्यानपूर्वक अवलोकन करके, और उनके बीच भेद करके, जो ‘सत्य’ से आते हैं और जो मिथ्यात्व से आते हैं उनमें से पहले को स्वीकार कर और दूसरे को अस्वीकार करके ऐसा कर सकते हैं।

धरती के वातावरण में ‘सत्य की ज्योति के आगमन’ के पहले प्रभावों में से एक है-यह विवेक-शक्ति।

वास्तव में ‘सत्य की ज्योति’ द्वारा लाये हुए इस विवेक के विशेष उपहार को पाये बिना, ‘सत्य’ के मनोवेगों और मिथ्यात्व के मनोवेगों में फर्क करना बहुत कठिन है।

फिर भी, आरम्भ में सहायता करने के लिए, तुम यह निर्देशक नियम बना सकते हो कि जो-जो चीजें शान्ति, श्रद्धा, आनन्द, सामञ्जस्य, विशालता. एकता और उठता हुआ विकास लाती हैं वे ‘सत्य’ से आती है; जब कि जिन चीजों के साथ बेचैनी, सन्देह, अविश्वास, दुःख, फूट, स्वार्थपूर्ण संकीर्णता, जड़ता, उत्साहहीनता और निराशा आयें वे सीधी मिथ्यात्व से आती हैं।

संदर्भ : शिक्षा के ऊपर 

शेयर कीजिये

नए आलेख

प्रार्थना

(जो लोग भगवान की  सेवा  करना चाहते हैं  उनके लिये एक प्रार्थना ) तेरी जय…

% दिन पहले

आत्मा के प्रवेश द्वार

यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…

% दिन पहले

शारीरिक अव्यवस्था का सामना

जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…

% दिन पहले

दो तरह के वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…

% दिन पहले

जब मनुष्य अपने-आपको जान लेगा

.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…

% दिन पहले

दृढ़ और निरन्तर संकल्प पर्याप्त है

अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…

% दिन पहले