सत्य और मिथ्यात्व में भेद कैसे करें


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

जो लोग अन्धकार और मिथ्यात्व की शक्तियों पर ‘सत्य’ की ज्योति के विजयी होने में सहायता करना चाहते हैं वे अपनी गतिविधियों और क्रियाओं को शुरू करने वाले आवेगों का ध्यानपूर्वक अवलोकन करके, और उनके बीच भेद करके, जो ‘सत्य’ से आते हैं और जो मिथ्यात्व से आते हैं उनमें से पहले को स्वीकार कर और दूसरे को अस्वीकार करके ऐसा कर सकते हैं।

धरती के वातावरण में ‘सत्य की ज्योति के आगमन’ के पहले प्रभावों में से एक है-यह विवेक-शक्ति।

वास्तव में ‘सत्य की ज्योति’ द्वारा लाये हुए इस विवेक के विशेष उपहार को पाये बिना, ‘सत्य’ के मनोवेगों और मिथ्यात्व के मनोवेगों में फर्क करना बहुत कठिन है।

फिर भी, आरम्भ में सहायता करने के लिए, तुम यह निर्देशक नियम बना सकते हो कि जो-जो चीजें शान्ति, श्रद्धा, आनन्द, सामञ्जस्य, विशालता. एकता और उठता हुआ विकास लाती हैं वे ‘सत्य’ से आती है; जब कि जिन चीजों के साथ बेचैनी, सन्देह, अविश्वास, दुःख, फूट, स्वार्थपूर्ण संकीर्णता, जड़ता, उत्साहहीनता और निराशा आयें वे सीधी मिथ्यात्व से आती हैं।

संदर्भ : शिक्षा के ऊपर 


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