मधुर माँ,
हम अपनी सत्ता को एक कैसे कर सकते हैं?
पहला चरण है, अपने अन्दर गहराई में कामनाओं और आवेशों के पीछे एक ज्योतिर्मयी चेतना को पाना जो हमेशा उपस्थित रहती और भौतिक सत्ता को अभिव्यक्त करती है।
साधारणतः लोग इस चेतना की उपस्थिति के बारे में केवल तभी अभिज्ञ होते हैं जब वे किसी संकट के आमने-सामने हों या उनका किसी अप्रत्याशित घटना या बड़े दुःख से पाला पड़ा हो।
तब तुम्हें उसके साथ सचेतन सम्पर्क में आना और जब मरज़ी हो तब यह कर सकना सीखना चाहिये। बाक़ी सब पीछे-पीछे आ जायेगा।
साधारणतः व्यक्ति इस ज्योतिर्मयी उपस्थिति को सौर चक्र के पीछे हदय में पाता है।
आशीर्वाद।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड १६)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…