श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

सतत और निर्विकार उपस्थिती

भगवान सब जगह, सब चीजों में हैं, उन चीजों में भी जिन्हें हम फेंक देते हैं और उनमें भी जिन्हें हम बहुत सावधानी के साथ सँजो कर रखते हैं, उनमें जिन्हें हम पैरों से कुचलते हैं और उनमें भी जिनकी हम आराधना करते हैं। हमें आदर के साथ जीना सीखना चाहिये और ‘उनकी’ सतत और निर्विकार उपस्थिती को कभी नहीं भूलना चाहिये।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवती माँ की कृपा

तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…

% दिन पहले

श्रीमाँ का कार्य

भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…

% दिन पहले

भगवान की आशा

मधुर माँ, स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह…

% दिन पहले

जीवन का उद्देश्य

अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…

% दिन पहले

दुश्मन को खदेड़ना

दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…

% दिन पहले

आलोचना की आदत

आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…

% दिन पहले