जब तक तुम अपने-आपको रूपांतरित करने और रूपांतरित न करने की इच्छा के बीच डुलते रहो – प्रगति के लिए प्रयास करने और क्लांति द्वारा सभी प्रयासों के प्रति उदासीन होने के बीच – तब तक सच्ची वृत्ति न आयेगी।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
जब तक तुम अपने-आपको रूपांतरित करने और रूपांतरित न करने की इच्छा के बीच डुलते रहो – प्रगति के लिए प्रयास करने और क्लांति द्वारा सभी प्रयासों के प्रति उदासीन होने के बीच – तब तक सच्ची वृत्ति न आयेगी।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
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