कोई संस्था प्रगतिशील हुए बिना जीवित नहीं रह सकती ।
सच्ची प्रगति है हमेशा ‘भगवान’ के अधिक निकट आना ।
हर गुजरता हुआ वर्ष पूर्णता की ओर नयी प्रगति से अंकित होना चाहिये।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…