श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

संगति का असर

इस छोटे-से अभ्यास को करने का प्रयत्न करो। दिन के आरम्भ में कहो, “जो कुछ मुझे कहना होगा उस पर विचार किये बिना मैं कुछ नहीं बोलूंगा।” तुम्हारा यह विश्वास है, है न, कि तुम जो कुछ भी कहते हो सोच कर कहते हो! किन्तु यह बिलकुल ही सही नहीं है, तुम देखोगे कि कितनी ही बार जो शब्द तुम बोलना नहीं चाहते वही फूट पड़ने को तैयार है और उसे बाहर निकलने से रोकने के लिए तुम्हें सचेतन प्रयत्न करने के लिए विवश होना पड़ता है।

मैंने ऐसे लोगों को देखा है जो झूठ न बोलने के लिए बहुत ही सावधान रहते थे; किन्तु जब वे किसी समुदाय में होते थे, तो सत्य न बोल कर सहज भाव से झूठ बोलने लगते थे। वे ऐसा करना नहीं चाहते थे पर यह “यूं ही” हो जाता था। क्यों?-क्योंकि वे झूठ बोलने वालों की संगति में रहते थे; उनके साथ झूठ का वातावरण होता था और बिलकुल सहज भाव से वे इस रोग से आक्रान्त हो जाते थे। इसी प्रकार थोड़ा-थोड़ा करके, धीरे-धीरे, निरन्तर प्रयास करके, सबसे पहले बड़ी सावधानी और सतर्कता के साथ मनुष्य सचेतन होता है, अपने-आपको जानना और बाद में अपने-आपको वश में करना सीखता है।

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५०-१९५१

 

शेयर कीजिये

नए आलेख

अपने चरित्र को बदलने का प्रयास करना

सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…

% दिन पहले

भारत की ज़रूरत

भारत को, विशेष रूप से अभी इस क्षण, जिसकी ज़रूरत है वह है आक्रामक सदगुण,…

% दिन पहले

प्रेम और स्नेह की प्यास

प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…

% दिन पहले

एक ही शक्ति

माताजी और मैं दो रूपों में एक ही 'शक्ति' का प्रतिनिधित्व करते हैं - अतः…

% दिन पहले

पत्थर की शक्ति

पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…

% दिन पहले

विश्वास रखो

माताजी,  मैं आपको स्पष्ट रूप से बता दूँ कि में कब खुश नहीं रहती; जब…

% दिन पहले