प्रायः ही श्रीअरविंद कहते हैं कि व्यक्ति को श्रीमाँ की शक्ति को शासन करने देना चाहिये । क्या इसका यह अर्थ है कि दोनों कि शक्तियों में कुछ भेद है?
केवल एक ही शक्ति है, माताजी की शक्ति – या , यदि तुम इसे यों कहना चाहो, माताजी श्रीअरविंद की शक्ति हैं।
संदर्भ : माताजी के विषय में
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