श्रीअरविन्द सूक्ष्म-भौतिक में निरन्तर रहते हैं और वहां बहुत सक्रिय हैं। मैं प्रायः रोज उनसे मिलती हूं। कल रात मैंने उनके साथ कई घण्टे बिताये।
अगर तुम सूक्ष्म-भौतिक में सचेतन हो जाओ तो तुम निश्चय ही उनसे मिलोगे। यह वही है जिसे श्रीअरविन्द सच्चा भौतिक कहते हैं – उसका चैत्य से कोई रिश्ता नहीं।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
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