मधुर माँ,
हम निश्चय के साथ कब कह सकते है कि हमने श्रीअरविंद का योग शुरू कर दिया है ?
उसका निश्चित चिन्ह क्या है ?
यह कहना असंभव है, क्योंकि हर व्यक्ति के लिए वह अलग-अलग होता है । यह इस पर निर्भर है कि तुम्हारी सत्ता का कौन-सा भाग श्रीअरविंद के प्रभाव के प्रति पहले खुलता और प्रत्युत्तर देता है ।
और कोई भी दूसरे के बारे में नहीं कह सकता ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…