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श्रीअरविंद का महासमाधि दर्शन – चित्र आवरण

श्रीअरविन्द हमेशा हमारे साथ हैं, हमें प्रकाश देते हैं, रास्ता दिखाते हैं ओर हमारी रक्षा करते हैं । हम पूर्णनिष्ठ बनकर ही उनकी कृपा के पात्र बन सकेंगे । -श्रीमाँ more
लोग यह नहीं जानते कि श्रीअरविन्द ने जगत् के लिए कितना भरी बलिदान दिया है । लगभग एक वर्ष पहले, जब मैं उनके साथ बातचीत कर रही धी, तो मैंने कहा कि मेरी इच्छा हो रही है कि मैं शरीर छोड़ दूं । उन्होंने बड़े दृढ़ स्वर में कहा : '' नहीं, यह हर्गिज नहीं हो सकता, अगर इस रूपान्तर के लिए जरूरी हुआ, तो शायद मैं चला जाऊं, तुम्हें हमारे अतिमानसिक अवतरण और रूपान्तर के योग को पूरा करना होगा । '' -श्रीमाँ more
जगत के इतिहास में श्रीअरविंद जिस चीज़ का प्रतिनिधित्व करते है वह कोई शिक्षा नहीं है, वह कोई अंत:प्रकाश भी नहीं है; वह है सीधे परम पुरुष से आई निर्णायक क्रिया । -श्रीमाँ more
श्रीअरविंद ने अपने शरीर के बारे में जो निर्णय किया उसके लिए बहुत हद तक धरती और मनुष्यों में ग्रहनशीलता का अभाव जिम्मेदार है। लेकिन एक चीज़ निश्चित है : भौतिक स्तर पर जो कुछ हुआ है उसका असर किसी तरह से भी उनकी शिक्षा के सत्य पर नहीं पड़ता। उन्होने जो कुछ कहा है वह सब पूरी तरह सत्य है और सत्य ही बना हुआ है । समय और घटनाक्रम इसे पर्याप्त रूप में सिद्ध करेंगे । -श्रीमाँ more
हमें प्रतीतियों से चकरा नहीं जाना चाहिये। श्रीअरविंद ने हमें छोड़ा नहीं है। श्रीअरविंद यहाँ है, शाश्वत काल तक जीवित और विध्यमान। अब यह हमारे ज़िम्मे है कि उनके काम को उसके लिए आवश्यक पूरी सच्चाई, व्यग्रता और एकाग्रता के साथ सम्पन्न करें । -श्रीमाँ more
शोक करना श्रीअरविन्द का अपमान हैं, वे हमारे साथ यहां सचेतन और जीवित रूप में विधामान हैं ।-श्रीमाँ more
श्रीअरविंद ने अपना जीवन दे दिया है ताकि हम 'भागवत चेतना' में जन्म ले सकें । -श्रीमाँ more
श्रीअरविंद किसी एक देश के नहीं, सारी पृथ्वी के हैं। उनकी शिक्षा हमें ज़्यादा अच्छे भविष्य की ओर ले जाती है । -श्रीमाँ more
श्रीअरविंद की 'कृपा' हमेशा उन लोगों के साथ रहती है जो प्रगति करना और आगामी कल के 'सत्य' को उपलब्ध करना चाहते है । -श्रीमाँ more
तुम्हें यह अनुभव करना चाहिये कि श्रीअरविंद तुम्हें देख रहे है । -श्रीमाँ
है प्रभो, आज प्रातः तूने मुझे यह आभासन दिया हैं कि जब तक तेरा कार्य संपन्न नहीं हो जाता, तब तक तू हमारे साथ रहेगा, केवल एक चेतना के रूप में ही नहीं जो पथप्रदर्शन करती और प्रदीप्त करती हैं बल्कि कार्यरत एक गतिशील ' उपस्थिति' के रूप में भी । तूने अचूक शब्दों में वचन दिया हैं कि तेरा सर्वांश यहां विध्यमान रहेगा और पार्थिव वातावरण को तब तक न छोड़ेगा जब तक पृथ्वी का रूपान्तर नहीं हो जायेगा । वर दे कि हम इस अद्भुत 'उपस्थिति' के योग्य बन सकें, अब सें हमारे अन्दर की प्रत्येक वस्तु तेरे उदात्त कार्य को पूर्ण करने हेतु अधिकाधिक परिपूर्णता से समर्पित होने के एकमात्र संकल्प पर एकाग्र हो । -श्रीमाँmore
श्रीअरविंद ने हमें वह आध्यात्मिक शिक्षा दी है जो हमें भगवान के सीधे संपर्क में आना सिखाती है । -श्रीमाँ more
पृथ्वी के इतिहास में आरम्भ से ही श्रीअरविन्द ने किसी-न-किसी रूप में, किसी-न-किसी नाम से हमेशा पृथ्वी के महान् रूपान्तरों का संचालन किया हैं । -श्रीमाँ more
श्रीअरविन्द निरन्तर हमारे साथ हैं और जो लोग उन्हें देखने और सुनने के लिए तैयार हैं उनके आगे अपने- आपको प्रकट करते हैं । -श्रीमाँ more
श्रीअरविन्द सूक्ष्म भौतिक जगत् में हैं, अगर तुम यह जानते हो कि वहां कैसे जाया जाये, तो तुम उनसे नींद में मिल सकते हो । -श्रीमाँ more
श्रीअरविन्द की सहायता चिरन्तन है : हमें उसे ग्रहण करना सीखना चाहिये । -श्रीमाँ more
श्रीअरविन्द की चेतना के प्रति खुलो ओर उसे अपने जीवन को रूपान्तरित करने दो । -श्रीमाँ more
श्रीअरविन्द का अपना शरीर त्यागना परम नि:स्वार्थता का कार्य हे । उन्होंने अपने शरीर में होनेवाली उपलब्धि को इसलिए त्यागा कि सामूहिक उपलब्धि का मुहूर्त जल्दी आ सके । निश्चय ही, अगर धरती अधिक ग्रहणशील होती, तो यह जरूरी न होता । -श्रीमाँ more
हम 'उनकी' दिव्य ' उपस्थिति ' की छत्रछाया में खड़े हैं जिन्होने अपने भौतिक जीवन की बलि दे दी ताकि अपने रूपान्तर के काम में अधिक पूर्णता के साथ सहायता कर सकें । 'वे' हमेशा हमारे साथ हैं, हमारे सभी कार्यकलापों, सभी विचारों, हमारे सभी भावों और हमारी सभी क्रियाओं से अवगत हैं । -श्रीमाँ more
तुम्हारे प्रति जो हमारे प्रभु के भौतिक आवरण रहे हो, तुम्हारे प्रति हमारा असीम आभार है । तुमने हमारे लिए इतना कुछ किया, हमारे लिए कर्म किया, संघर्ष किये, कष्ट झेले, आशा की, इतना सहन किया, तुमने हम सबके लिए संकल्प किये, प्रयत्न किये, तैयार किया, हमारे लिए सब कुछ प्राप्त किया, तुम्हारे आगे हम नतमस्तक हैं और यह प्रार्थना करते हैं कि हम एक क्षण के लिए भी कभी तुम्हारे ऋण को न भूलें ।-श्रीमाँ more
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