जगत के इतिहास में श्रीअरविंद जिस चीज़ का प्रतिनिधित्व करते है वह कोई शिक्षा नहीं है, वह कोई अंत:प्रकाश भी नहीं है; वह है सीधे परम पुरुष से आई निर्णायक क्रिया । -श्रीमाँ
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…