जगत के इतिहास में श्रीअरविंद जिस चीज़ का प्रतिनिधित्व करते है वह कोई शिक्षा नहीं है, वह कोई अंत:प्रकाश भी नहीं है; वह है सीधे परम पुरुष से आई निर्णायक क्रिया । -श्रीमाँ
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भारत को जगत् का आध्यात्मिक नेता होना ही चाहिये । अन्दर तो उसमें क्षमता है,…
मधुर माँ, आप अपने 'वार्तालाप' में कहती हैं कि हमें सच्ची आध्यात्मिक अनुभूति पाने के…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
सच्चा ध्यान क्या है ? वह भागवत उपस्थिती पर संकल्प के साथ सक्रिय रूप से…
स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…
यदि सचमुच में हम, ठीक से जान सकें जीवन के उत्सव के हर विवरण को,…