श्रीअरविंद जगत् को उस भविष्य के सौन्दर्य के बारे में बतलाने आए थे जिसे चरितार्थ करना ही होगा ।
वे उस भव्यता की आशा ही नहीं, निश्चिति देने आए थे जिसकी और जगत् गति कर रहा है। जगत् एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना नहीं है, यह एक अद्भुत चीज़ है जो अपनी अभिव्यक्ति की और गति कर रही है ।
जगत् को भविष्य के सौन्दर्य की निश्चिति की ज़रूरत है। और श्रीअरविंद ने यह आश्वासन दिया है ।
श्रीअरविंद का कार्य है एक अनोखा पार्थिव रूपांतर।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…