श्रीअरविंद आश्रम की स्थापना का उद्देश्य

इस आश्रम की स्थापना का उद्देश्य वह नहीं हैं जो साधारणतया ऐसी संस्थाओं की स्थापना का हुआ करता है । संसार को त्यागने के लिए नहीं, बल्कि एक दूसरे आकार और प्रकार के जीवन के विकास के लिए अभ्यास के क्षेत्र तथा केंद्र के रूप में इसका निर्माण हुआ है। यह जीवन अंत में उच्चतर आध्यात्मिक जीवन को मूर्तिमान करेगा। ऐसा कोई सामान्य नियम नहीं है कि किस अवस्था में कोई व्यक्ति साधारण जीवन को छोड़कर इसमें प्रवेश कर सकता है । प्रत्येक प्रसंग में यह व्यक्तिगत आवश्यकता और प्रेरणा और इस ओर पग उठाने की सम्भावना या औचित्य पर निर्भर करता है ।

संदर्भ :  श्रीअरविंद के पत्र (भाग-२)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले