यह मानना बड़ी भूल है कि यहाँ प्रत्येक व्यक्ति अंतत: पॉण्डिचेरी आश्रम से जुडने आया है । यह श्रीमाँ का अभिप्राय नहीं हैं, न भौतिक रूप से यह सम्भव ही है। यह न सोचना चाहिये कि जिस कार्य को करना है वह पॉण्डिचेरी तक ही सीमित है ।
संदर्भ : श्रीअरविंद अपने विषय में
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