यदि अग्नि-परीक्षाओं या त्रुटियों ने तुम्हें पछाड़ दिया है, यदि तुम दुःख के अथाह गर्त में डूब गये हो तो ज़रा भी शोक न करो, क्योंकि वस्तुतः
वहीं पर तुम्हें मिलेगा भगवान् का स्नेह, उनका परम आशीष ! क्योंकि तुम पावनकारी दुःखों की अग्नि में तप चुके हो, इसलिए अब तुम्हें गौरवमय
शिखर मिलेंगे।
तुम बंजर बीहड़ में हो : तो सुनो नीरवता की वाणी। बाहर की स्तुति और प्रशंसा का कलरव ही तुम्हारे कानों को सुख देता रहा है। अब नीरवता की वाणी तुम्हारी आत्मा को सुख देगी, तुम्हारे अन्दर जाग्रत् करेगी गहराइयों की प्रतिध्वनि, दिव्य स्वर-संगतियों का नाद!
तुम गहन रात्रि में चल रहे हो तो रात्रि की अमूल्य सम्पदा संग्रह करते चलो। सूर्य का उज्ज्वल प्रकाश बुद्धि के मार्ग आलोकित कर देता है, किन्तु रात्रि की श्वेत प्रभा में पूर्णता के गुप्त पथ दृष्टिगोचर होते हैं, -आध्यात्मिक सम्पदाओं का रहस्य खुलता है। तुम नग्नता और अभाव के मार्ग पर हो : यह प्रचुरता का मार्ग है। जब तुम्हारे पास कुछ न बचेगा तो तुम्हें सब कुछ दिया जायेगा। क्योंकि जो सच्चे और सीधे हैं उनके लिए बुरे-से-बुरे में से सदा भले-से-भला निकल आता है।
ज़मीन में बोया हुआ एक दाना हज़ारों दाने पैदा करता है। दुःख के पंखों का प्रत्येक स्पन्दन गौरव की ओर ले जाने वाली उड़ान बन सकता है।
और जब शत्रु मनुष्य पर क्रुद्ध हो टूट पड़ता है, तो वह उसके नाश के लिए जो कुछ करता है, वही उसे महान् बनाता है।
संदर्भ : पहले की बातें
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…