शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह सीमित करने वाली, बंधनकारी, तमाच्छादित करने वाली अपूर्णताओं तथा भ्रांतियों को झाड़ फेंकने के बराबर है। कामना की शुद्धि चैत्य-प्राण की मुक्ति लाती है। अनुचित या ग़लत भावनाओं तथा कष्टकर प्रतिक्रियाओं का शुद्धीकरण ह्रदय की मुक्ति लाती है। संवेदी मन के तमाच्छादित करने वाले सीमित विचार का शुद्धीकरण बुद्धि की मुक्ति लाता है । केवल बौद्धिकता का शुद्धीकरण विज्ञान की मुक्ति लाता है. . .यह सब एक यांत्रिक मुक्ति है। अंतरात्मा की मुक्ति व्यापकतर तथा अधिक तात्विक प्रकृति की मुक्ति है । यह है – पार्थिव सीमा से बाहर प्रकाश में ‘आत्मा’ की असीम अमरता में प्रकट होना।
संदर्भ : योग समन्वय
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…
देशभक्ति की भावनाएँ हमारे योग की विरोधी बिलकुल नहीं है, बल्कि अपनी मातृभूमि की शक्ति…