शिक्षा के दोष


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

आज  हमारी शिक्षा कौन – से दोषों और भ्रांतियों का शिकार है ? हम उनसे कैसे बच सकते हैं ?

१ . सफलता, आजीविका और धन को दिया जाने वाला प्रायः ऐकांतिक महत्व ।

२. ‘आत्मा’ के साथ संपर्क और सत्ता के ‘सत्य’ के विकास और उसकी अभिव्यक्ति की परम आवश्यकता पर ज़ोर देना ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)


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