शाश्वत भगवान की प्राप्ति


महर्षि श्रीअरविंद अपने कक्ष में

जब तक हम वर्तमान विश्व-चेतना में निवास करते हैं तब तक यह जगत, जैसा कि गीता ने कहा है, ‘अनित्यमसुखम’ है। उससे विमुख हो केवल भगवान की ओर मुड़ने और भागवत चेतना में निवास करने पर ही हम, जगत के द्वारा भी शाश्वत भगवान को प्राप्त कर सकते हैं।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र 


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