व्यर्थ के विचारों से मुक्ति – १


Sri Aurobindo in his roon

प्रश्न -कार्य के समय व्यर्थ के विचार घुस आतें है और बाहरी और भीतरी सत्ताओं के संपर्क में बाधा डालते हैं ।  ऐसा कौन सी विशेष कठिनाई के कारण होता है ?

उत्तर- हर एक जिस कठिनाई का अनुभव करता है उसके अतिरिक्त कोई और विशेष कठिनाई नहीं है । वह है , आन्तरिक एकाग्रता के साथ कार्य का सामंजस्य रखना । यह ऐसी कठिनाई है जिसे जीतना होगा । लेकिन अधिकतर लोगों को इसमें समय लगता है । तुम्हें काम करने के साथ-ही-साथ आन्तरिक सत्ता का मौन भी बनाये रखना चाहिये ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र एक युवा साधक के नाम


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