श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

विद्यार्थियों से

जो कुछ दूसरे कर चुके हैं उसी को दोहराने के लिए हम यहां नहीं हैं। हम यहां एक नयी अभिव्यक्ति, एक नयी चेतना, एक नये जीवन के लिए अपने-आपको तैयार करने के लिए हैं। इसीलिए मैं तुम विद्यार्थियों से बातें कर रही हूं-अर्थात् उन सबसे जो सीखना चाहते हैं, जो अधिक सीखना
चाहते हैं, ज्यादा अच्छा सीखना चाहते हैं ताकि एक दिन तुम अपने-आपको नयी शक्ति के प्रति खोल सको, उसको भौतिक स्तर पर अभिव्यक्ति को सम्भव बना सको। तुम्हें यह न भूलना चाहिये कि यही हमारा कार्यक्रम है। अगर तुम यहां होने का सच्चा कारण समझना चाहते हो तो याद रखो
हमारा लक्ष्य है यथासम्भव अधिक-से-अधिक ऐसा पूर्ण यन्त्र बनना जो संसार में भगवान् की इच्छा को प्रकट कर सके। और अगर यन्त्र को पूर्ण बनना है तो तम्हें उसे परिष्कृत करना, शिक्षा देना और प्रशिक्षित करना होगा। तुम्हें उसे बंजर जमीन या अनगढ़ पत्थर के टुकड़े की तरह छोड़ नहीं देना चाहिये। हीरा अपना पूरा सौन्दर्य तभी दिखाता है जब उसे कलात्मक रूप से तराशा जाये। तुम्हारे साथ भी यही बात है। जब तुम यह चाहते हो कि तुम्हारी भौतिक सत्ता अतिमानसिक चेतना को अभिव्यक्त करने के लिए एक पूर्ण यन्त्र बन सके तो उसका पोषण करना होगा, उसे आकार देना
होगा, सुसंस्कृत बनाना होगा। उसके पास जो नहीं है वह लाना होगा और जो है उसे पूर्ण करना होगा।

संदर्भ : शिक्षा के ऊपर

शेयर कीजिये

नए आलेख

आश्रम के दो वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…

% दिन पहले

ठोकरें क्यों ?

मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…

% दिन पहले

समुचित मनोभाव

सब कुछ माताजी पर छोड़ देना, पूर्ण रूप से उन्ही पर भरोसा रखना और उन्हें…

% दिन पहले

देवत्‍व का लक्षण

श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…

% दिन पहले

भगवान की इच्छा

तुम्हें बस शान्त-स्थिर और अपने पथ का अनुसरण करने में दृढ़ बनें रहना है और…

% दिन पहले

गुप्त अभिप्राय

... सामान्य व्यक्ति में ऐसी बहुत-से चीज़ें रहती हैं, जिनके बारे में वह सचेतन नहीं…

% दिन पहले