प्रत्येक रोग स्वस्थता के किसी नवीन आनंद की ओर जाने का एक पथ है, प्रत्येक अमंगल और दुख-ताप प्रकृति का किसी अधिक तीव्र आनंद और मंगल के लिए स्वर मिलाना है, प्रत्येक मृत्यु विशालतम अमरत्व की ओर एक उद्घाटन है। क्यों और कैसे यह बात ऐसी हो सकती है – यह भगवान का गुप्त रहस्य है जिसकी तह में केवल अहंकार-विमुख अंतरात्मा ही पैठ सकता है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…