रहस्य ज्ञान – ७


श्रीअरविंद अपने कक्ष में

अपने अन्तर में हम सतत एक जादुई चाबी छिपाये रहते हैं
यह जीवन के प्राण-रुद्ध एक खोल में बन्द है।

संदर्भ : “सावित्री”


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