यौवन इस बात पर निर्भर नहीं है कि हम कितने छोटे हैं, बल्कि इस पर कि हम मे विकसित होने की क्षमता और प्रगति करने की योग्यता कितनी हैं। विकसित होने का अर्थ हैं अपनी अंतर्निहित शक्तियां, अपनी क्षमताएं बढ़ाना; प्रगति करने का अर्थ है अबतक अधिकृत योग्यताओं को बिना रुके निरंतर पूर्णता की ओर ले जाना।
सन्दर्भ : शिक्षा के उपर
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…