पहाड़ी रास्ता हमेशा दो दिशाओं में जाता है । ऊपर की ओर और नीचे की ओर-सब कुछ इस पर निर्भर है कि तुम किस ओर मुंह करते हो ।


जीवन सत्य और मिथ्यात्व के बीच, प्रकाश और अंधकार, प्रगति और अवनति, ऊंचाइयों की ओर आरोहण या रसातल में पतन के बीच निरंतर चुनाव है । हर एक आजादी से चुन सकता है ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – २)

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