पहाड़ी रास्ता हमेशा दो दिशाओं में जाता है । ऊपर की ओर और नीचे की ओर-सब कुछ इस पर निर्भर है कि तुम किस ओर मुंह करते हो ।
जीवन सत्य और मिथ्यात्व के बीच, प्रकाश और अंधकार, प्रगति और अवनति, ऊंचाइयों की ओर आरोहण या रसातल में पतन के बीच निरंतर चुनाव है । हर एक आजादी से चुन सकता है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – २)
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…