योग के विषय में ग़लत धारणाएँ – १

योग का लक्ष्य श्रीअरविन्द या श्रीमाताजीके ‘जैसा’ बनना नहीं है। जो लोग इस विचार का पोषण करते हैं बड़ी आसानी से आगे के इस विचार पर पहुँच जाते हैं कि वे उनके बराबर और यहां तक कि उनसे अधिक बड़े बन सकते हैं। यह केवल अपने अहंका पोषण करना है ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग – २)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भारत की आत्मा

​केवल भारत की आत्मा ही इस देश को एक कर सकती है । बाह्य रूप…

% दिन पहले

साधना में प्रगति

अगर तुम्हारी श्रद्धा दिनादिन दृढ़तर होती जा रही है तो निस्सन्देह तुम अपनी साधना में…

% दिन पहले

आध्यात्मिक जीवन की तैयारी

"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…

% दिन पहले

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले