मेरे आशीर्वाद बहुत भयंकर हैं । वे इसके लिए या उसके लिए, इस व्यक्ति या उस वस्तु के विरुद्ध नहीं होते । वे… या, अच्छा, मैं रहस्यवादी भाषा में कहूंगी :
वे इसलिए हैं कि प्रभु की ‘इच्छा ‘ पूरी शक्ति और पूरे बल के साथ चरितार्थ हो । इसलिए यह जरूरी नहीं है कि हमेशा सफलता मिले । अगर प्रभु की ऐसी ‘ इच्छा ‘ हो तो असफलता भी हो सकतीं है । ओर ‘इच्छा ‘ प्रगति के लिए है, मेरा मतलब आन्तरिक प्रगति से है । अतः जो कुछ भी होगा अच्छे-से- अच्छे के लिए ही होगा ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग – १)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…