मेरा सत्य


Sri Aurobindo in his roon

मेरा सत्य वह है जो अज्ञान और मिथ्यात्व को अस्वीकार करता है और ज्ञान की ओर अग्रसर होता है, अंधकार को त्याग कर प्रकाश की ओर बढ़ता है, अहंकार को त्याग कर भागवत-आत्मा की ओर गति करता है, अपूर्णताओं को त्याग कर पूर्णता की ओर प्रगति करता है। मेरा सत्य केवल भक्ति या चैत्य-विकास का सत्य ही नहीं, बल्कि ज्ञान, पवित्रता, दिव्य बल एवं अचंचलता तथा इन सब वस्तुओं का इनके मानसिक, भावुक और प्राणिक रूपों से इनके अतिमानसिक सत्य तक उठना भी है।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र 


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