जब शरीर बढ़ती हुई पूर्णता की ओर सतत प्रगति करने की कला सीख ले तो हम मृत्यु की अनिवार्यता पर विजय पाने के पथ पर अग्रसर होंगे।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
जब शरीर बढ़ती हुई पूर्णता की ओर सतत प्रगति करने की कला सीख ले तो हम मृत्यु की अनिवार्यता पर विजय पाने के पथ पर अग्रसर होंगे।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
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