खेल के मैदान में माताजी बच्चों को मूंगफली की थैलियाँ दिया करती थीं । छोटे-बडें, सभी पंक्ति बनाकर दिव्य मुस्कान के साथ मूंगफली लेने के लिये खड़े होते थे । कुछ बच्चे ज़्यादा मूंगफली पाना चाहते थे । वे बार-बार पंक्ति में जाकर खड़े हो जाते थे । उन्होंने सोचा होगा, इतनी जल्दी में माताजी को कहाँ ख्याल रहेगा कि कौन पहले आ चुका हैं । लेकिन एक दिन उनमें से एक की आश्चर्य की हद न रही जब उसने देखा कि माताजी ने पहली ही बार उसे दो थैलियाँ पकड़ा दीं और वह भी विशेष मुस्कान के साथ ।
सन्दर्भ : माताजी की झांकियां
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…