खेल के मैदान में माताजी बच्चों को मूंगफली की थैलियाँ दिया करती थीं । छोटे-बडें, सभी पंक्ति बनाकर दिव्य मुस्कान के साथ मूंगफली लेने के लिये खड़े होते थे । कुछ बच्चे ज़्यादा मूंगफली पाना चाहते थे । वे बार-बार पंक्ति में जाकर खड़े हो जाते थे । उन्होंने सोचा होगा, इतनी जल्दी में माताजी को कहाँ ख्याल रहेगा कि कौन पहले आ चुका हैं । लेकिन एक दिन उनमें से एक की आश्चर्य की हद न रही जब उसने देखा कि माताजी ने पहली ही बार उसे दो थैलियाँ पकड़ा दीं और वह भी विशेष मुस्कान के साथ ।
सन्दर्भ : माताजी की झांकियां
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
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देशभक्ति की भावनाएँ हमारे योग की विरोधी बिलकुल नहीं है, बल्कि अपनी मातृभूमि की शक्ति…