श्रेणियाँ संस्मरण

मूंगफली की दो थैलियां

खेल के मैदान में माताजी बच्चों को मूंगफली की थैलियाँ दिया करती थीं । छोटे-बडें, सभी पंक्ति बनाकर दिव्य मुस्कान के साथ मूंगफली लेने के लिये खड़े होते थे । कुछ बच्चे ज़्यादा मूंगफली पाना चाहते थे । वे बार-बार पंक्ति में जाकर खड़े हो जाते थे । उन्होंने सोचा होगा, इतनी जल्दी में माताजी को कहाँ ख्याल रहेगा कि कौन पहले आ चुका हैं । लेकिन एक दिन उनमें से एक की आश्चर्य की हद न रही जब उसने देखा कि माताजी ने पहली ही बार उसे दो थैलियाँ पकड़ा दीं और वह भी विशेष मुस्कान के साथ ।

सन्दर्भ : माताजी की झांकियां 

शेयर कीजिये

नए आलेख

रूपांतर का मार्ग

भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…

% दिन पहले

सच्चा ध्यान

सच्चा ध्यान क्या है ? वह भागवत उपस्थिती पर संकल्प के साथ सक्रिय रूप से…

% दिन पहले

भगवान से दूरी ?

स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते…

% दिन पहले

कार्य के प्रति मनोभाव

अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…

% दिन पहले

चेतना का परिवर्तन

मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…

% दिन पहले

जीवन उत्सव

यदि सचमुच में हम, ठीक से जान सकें जीवन के उत्सव के हर विवरण को,…

% दिन पहले