माँ, ‘क’ ने एक चीनी-मिट्टी का कटोरा तोड़ दिया है ।
कल तुम आश्चर्य कर रहे थे कि उससे कोई चीज़ नहीं टूटी, -स्वभावतः उसने आज कुछ तोड़ दिया । मानसिक रूपायण इसी तरह काम करते हैं इसलिए तुम्हें केवल वहीं चीज़ें कहनी चाहियें जिन्हें तुम चरितार्थ होते देखना चाहते हो ।
जब तुम किसी के बारे में कुछ अच्छी बात नहीं सोच सकते तो उसके बारे में सोचने से बचो ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड -१६)
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…