मानसिक रूपायण


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

माँ, ‘क’ ने एक चीनी-मिट्टी का कटोरा तोड़ दिया है । 

कल तुम आश्चर्य कर रहे थे कि उससे कोई चीज़ नहीं टूटी, -स्वभावतः उसने आज कुछ तोड़ दिया । मानसिक रूपायण इसी तरह काम करते हैं इसलिए तुम्हें केवल वहीं चीज़ें कहनी चाहियें जिन्हें तुम चरितार्थ होते देखना चाहते हो ।

जब तुम किसी के बारे में कुछ अच्छी बात नहीं सोच सकते तो उसके बारे में सोचने से बचो ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड -१६)

 

 

 


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