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मानव मूल्यांकन

[कप्तान (खेल-कूद के प्रशिक्षण) के चरित्र के बारे में किसी की टिप्पणी के विषय में ]

लोग जो कुछ कहते हैं उसका महत्व नहीं होता, क्योंकि मानव मूल्यांकन सदा एकांगी और इस कारण अज्ञानभरे होते हैं।

अपने-आपको जानने के लिए तुम्हें अपने-आपको उच्चतर और गहनतर चेतना से देखना होगा जो तुम्हारी प्रतिक्रियाओं और भावों के सच्चे कारणों को विवेक के साथ देख सके।

छिछला अवलोकन सहायता नहीं कर सकता और जब तक तुम चैत्य सत्ता के साथ संपर्क न साध लो, ज्यादा अच्छा यही होगा कि व्यर्थ विश्लेषण में समय काटने की जगह हमेशा अपना अच्छे-से-अच्छा करने की और तुम जीतने अच्छे हो सकते हो उतने अच्छे होने की कोशिश करो।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)

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