माताजी की स्वीकृति


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

जब कोई आदमी माताजी के संरक्षण में योग करना आरंभ करता है तब क्या वह पूर्ण रूप से उनके द्वारा ग्रहण नहीं कर लिया जाता?

जब तक वह तैयार न हो जाये तबतक नहीं। सबसे पहले उसे माताजी को स्वीकार करना है और फिर अधिकाधिक अपना अहंभाव छोड़ना होता है। यहां ऐसे साधक भी हैं जो पग-पग पर विद्रोह करते हैं, माताजी का विरोध करते हैं, उनकी इच्छा का खण्डन करते हैं और उनके निर्णयों की टीका- टिप्पणी करते हैं। ऐसी अवस्थाओं में भला वे उन लोगों को पूर्ण रूप से कैसे ग्रहण कर सकती हैं?

२१-६-१९३३

सन्दर्भ : माताजी के विषय में 


0 Comments