माताजी की सतत उपस्थिति अभ्यास के द्वारा आती हे; साधना में सफलता पाने के लिये भागवत कृपा अत्यंत आवश्यक है, पर अभ्यास ही वह चीज है जो कृपा-शक्ति के अवतरण के लिये तैयारी करती है ।
तुम्हें भीतर की ओर जाना सीखना होगा, केवल बाहरी चीजों में ही रहना बंद करना होगा, मन को स्थिर करना होगा और अपने अंदर होनेवाली माताजी की क्रिया के विषय में सचेतन होने की अभीप्सा करनी होगी ।
सन्दर्भ : माताजी के विषय में
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