माताजी की ओर खुलना


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

हम चाहें श्रीअरविंद को लिखें या श्रीमाँ को, क्या यह एक ही बात है ? कुछ लोग कहते हैं कि दोनों एक ही हैं, इसलिए चाहे हम श्रीअरविंद को लिखे या श्रीमाँ को, हम माँ की ओर ही खुले होते हैं । क्या यह ठीक है ?

यह सत्य है कि हम दोनों एक ही हैं, पर सम्बंध का अस्तित्व भी है, जिसके कारण यह आवश्यक हो जाता है कि व्यक्ति माताजी की ओर खुला हो।

संदर्भ : माताजी के विषय में 


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