माँ की वाणी सुनने की तैयारी


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ नलिनी कान्त गुप्त के साथ

यह कब कहा जा सकता है कि व्यक्ति आन्तरिक रूप से माँ की वाणी सुनने को तैयार है ?

जब व्यक्ति के अंदर समता, विवेक और पर्याप्त यौगिक अनुभूति हो – अन्यथा वह किसी भी आवाज को माँ की वाणी मानने की भूल कर सकता है ।

संदर्भ : माताजी के विषय में 


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