मन मन्दिर बन जाये


मन मन्दिर

एक अंधेरी रात में , एक चर्च पर , एक नीग्रो ने जाकर द्वार खटखटाया। चर्च के पादरी ने द्वार खोला, काश उसे पता होता कि एक काला आदमी द्वार बजा रहा है , तो वह द्वार भी न खोलता | दरवाजा खोला दिया तो देखा एक नीग्रो खड़ा है , काला आदमी ! पुराने दिन होते तो उसे कहा होता : हट शुद्र यहाँ से ,भगवान के मन्दिर में तेरे लिए कोई जगह नही है ! और पुराने दिन होते तो शायद उसकी गर्दन कटवा देता , या उसके कानों में शीशा पिघलवा कर भरवा देता कि तू इस चर्च के आस-पास क्यों आया | लेकिन जमाना बदल गया है , तो उस चर्च के पादरी को उसे प्रेम से समझा कर लौटा देना पड़ा | उसने नीग्रो को कहा : “मेरे मित्र , किस लिये चर्च में आना चाहते हो ?”

उसने कहा : मेरा मन दुखी है , चित है मेरा पीड़ित और चिंताओ से भरा | शांत होना चाहता हूँ | जीवन बीत गया मालूम होता है और कुछ भी मैने पाया नही | भगवान की शरण चाहता हूँ | यह एक ही चर्च है गाँव में , मुझे भीतर आने दो , प्रभु का सान्निध्य मिलने दो |

 
उस पादरी ने कहा : मित्र , जरुर आने दूंगा | लेकिन जब तक मन शुद्ध न हो , चित पवित्र न हो , प्राण शांत न हो , आत्मा ज्योति से न भर जाए , तब तक प्रभु से मिलना नहीं हो सकेगा | आकर भी क्या करोगे ?  जाओ और पहले अपने मन को शुध्द करो और शांत करो , हृदय को प्रार्थना और प्रेम से भरो , फिर आना | फिर मैं तुम्हें भीतर प्रवेश दूंगा |

 
वह नीग्रो वापस लौट गया | उस पादरी ने सोचा : न होगा कभी इसका मन शांत और न यह दुबारा कभी आएगा |

 
लेकिन कोई दो-तीन महीने बीत जाने के बाद एक दिन बाज़ार  में उस पादरी ने देखा कि वह नीग्रो चला जा रहा है | लेकिन वह तो आदमी दूसरा हो गया मालूम पड़ता है | उसकी आँखों में कोई नई रोशनी , कोई नई झलक | उसके पैरों की चाल बदल गई है , उसके चारों तरफ कोई वायुमंडल ही और हो गया है ,उसके ओंठो पर कोई और ही मुस्कुराहट है जो इस जमीन की नहीं है | तो उसने उस नीग्रो को पूछा और कहा कि तुम वापस नहीं आए ?

 
वह नीग्रो हंसने लगा और उसने कहा : में  तो आना चाहता था | और उसी आने के लिए प्रार्थनाएं की , एक रात जब में प्रार्थना कर सो गया ,तो में ने  सपना देखा कि भगवान खड़े हैं | और मुझसे पूछ रहे है कि क्यों तू मुझे पुकार रहा है ? में ने कहा कि “जो हमारे गाँव का मंदिर है , चर्च है, मैं उसमें प्रवेश पाना चाहता हूँ , इसके लिए प्रार्थनाएं कर रहा हूँ |”

 

तो भगवान हंसने लगे और और बोले: “तू बड़ा पागल है ! यह ख्याल छोड़ दे | दस साल में खुद उस चर्च में घुसने की कोशिश कर रहा हूँ , वह पादरी मुझे भी नहीं घुसने देता ! तू यह ख्याल छोड़ दे | ”

 

संदर्भ और चित्र : इंटर्नेट से साभार 


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