मधुर मां,
हम अपने मन को सब विचारों से खाली कैसे कर सकते हैं? जब हम ध्यान में इसके लिए प्रयास करते हैं तो हमेशा यह ख्याल बना रहता है कि हमें कुछ नहीं सोचना चाहिये।
तुम्हें ध्यान के समय चुप रहना नहीं सीखना चाहिये, क्योंकि प्रयास का प्रयत्न अपने-आप शोर मचाता है। तुम्हें अपनी ऊर्जाओं को हृदय में केन्द्रित करना सीखना चाहिये। जब उसमें सफलता मिल जाये तो नीरवता अपने-आप आ जाती है।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
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अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…