प्रश्न : मन मे वाद-विवाद को कैसे रोका जाये ?
पहली शर्त है जितना हों सके उतना कम बोलो ।
दूसरी शर्त है, केवल उसी चीज के बारे मे सोचो जो तुम इस समय कर रहे हो, उसके बारे मे मत सोचो जो तुम्हें करना हैं या जो तुम कर चुके हो ।
जो हो चुका है उसके लिये कभी न पछताओ और जो होने वाला है उसकी कल्पना न करो ।
जहां तक बन पड़े अपने विचारों मे निराशा को रोको और स्वेच्छापूर्वक आशावादी बनो ।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…