प्रश्न : मन मे वाद-विवाद को कैसे रोका जाये ?
पहली शर्त है जितना हों सके उतना कम बोलो ।
दूसरी शर्त है, केवल उसी चीज के बारे मे सोचो जो तुम इस समय कर रहे हो, उसके बारे मे मत सोचो जो तुम्हें करना हैं या जो तुम कर चुके हो ।
जो हो चुका है उसके लिये कभी न पछताओ और जो होने वाला है उसकी कल्पना न करो ।
जहां तक बन पड़े अपने विचारों मे निराशा को रोको और स्वेच्छापूर्वक आशावादी बनो ।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…