शिष्य : भौतिक प्रकृति के प्रतिरोध को रोकने के लिए क्या करना चाहिये ?
श्रीअरविंद : तुम्हारे अंदर सत्य के लिए सम्पूर्ण अभीप्सा होनी चाहिये। यह सच है कि साधना में ऐसे समय आते हैं जब मन में अवसाद आ जाता है और उच्चतर उपस्थिती पर पर्दा पड़ जाता है, ज्ञान धुंधला पड़ जाता है। ऐसे समय अभीप्सा और श्रद्धा, जिसे रामकृष्ण “अंध श्रद्धा” कहते हैं, ही व्यक्ति की सहायता करती है। अगर ‘कूए’ के रोगशमन के लिए श्रद्धा जरूरी है तो अतिमानस को नीचे लाने के लिए वह और भी अधिक जरूरी है ।
संदर्भ : सांध्य वार्ताएं
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