भूतकाल का रूपांतरण


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ अपने कक्ष में

हमारा भूतकाल चाहे जो भी रहा हो, हमने चाहे जो भी भूलें की हों, हम चाहे जितने अज्ञान में क्यों न रह चुके हों, हम अपनी गंभीरतम सत्ता में परम पवित्रता को धारण करते हैं जो एक अनुपम अनुभूति के रूप में रूपांतरित हो सकती है।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)


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